जन्मदिन पर विशेष:राजकुमार के सिनेमा पर्दे पर ‘जानी’ कहते ही आ जाती थी दर्शकों में जान

—शंभूनाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

हिंदी सिनेमा के इस अभिनेता ने अपनी रील और रियल लाइफ बिल्कुल अपने नाम की तरह जी | जी हां हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार राजकुमार की, जिनका आज जन्मदिन है | आठ अक्टूबर 1926 को पाकिस्तान में कश्मीरी पंडित परिवार में जन्मे राजकुमार ने ‘मदर इंडिया’ ‘दिल एक मंदिर’ ‘पाकीजा’, ‘वक्त’, ‘सौदागर’ और तिरंगा जैसी फिल्मों से अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी | उनका असली नाम कुलभूषण पंडित था वह बंबई (अब मुंबई में ) पुलिस में दरोगा थे | राजकुमार जब पर्दे पर आते तो सिनेमा हाल में बैठे दर्शकों में जान आ जाती थी |
राजकुमार के ‘जानी’ कहते ही सिनेमा हाल सीटियों और तालियों की गूंज से भर जाता था | अपने 40 साल कैरियर में उन्होंने लगभग 70 फिल्मों में काम किया | राजकुमार के कड़क मिजाज की वजह से कई अभिनेता और निदेशक उनके साथ काम करने से घबराते थे | दिलीप कुमार के साथ राजकुमार ने सन 1961 में आई ‘पैगाम’ में काम किया था | इस फिल्म के दौरान दोनों का मनमुटाव इतना बढ़ गया था कि एक दूसरे साथ काम न करने की कसम खा ली थी | लगभग 30 साल बाद निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने सन 1991 में ‘सौदागर’ फिल्म में दोनों को एक साथ साइन किया था | सौदागर फिल्म सुपरहिट हुई | दिलीप कुमार और राजकुमार के डायलॉग आज भी दर्शकों की जुबान पर बने हुए हैं | पाक़ीजा फिल्म का डायलॉग “आपके पांव देखे, बहुत हंसीं है, इन्हें ज़मीन पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएंगे, या फिर गुस्से में ये कहें कि, ” जानी…हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे, पर बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी, और वह वक्त भी हमारा होगा.” ऐसे ही ‘वक्त’ फिल्म का संवाद, “जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरे घर में पत्थर नहीं फेंका करते” आज भी हिंदी सिनेमा में अमर हैं | राजकुमार ने 1952 की फिल्म रंगीली से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी | लेकिन उनको पहचान वर्ष 1997 आइए “मदर इंडिया” से मिली | राजकुमार ने अपने हर किरदार के साथ दर्शकों के दिलाें में अपने लिए एक खास जगह बनाई | राज कुमार काे फिल्म ‘दिल एक मंदिर’ में एक कैंसर रोगी के रूप में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था | अपने मुखर स्वभाव के लिए जाने जाने वाले राज कुमार ने प्रकाश मेहरा की जंजीर में काम करने से मना कर दिया था, क्योंकि उन्हें निर्देशक का चेहरा पसंद नहीं था | 40 साल के अपने फिल्मी कैरियर में आम से लेकर खास सभी दर्शक उनके प्रशंसक रहे | 3 जुलाई 1996 को 69 वर्ष की आयु में गले के कैंसर से राजकुमार की मृत्यु हो गई | लेकिन आज भी राजकुमार के फिल्मी पर्दे पर बोले गए संवाद आपको दर्शकों की जुबान पर मिल जाएंगे |

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