युवाओं में डिप्रेशन का यही करण तो नहीं?

आखिर क्यों? आज हमारा समाज हमारी आने वाली पीढ़ी डिप्रेशन का शिकार होती जा रही है। इसकी एक खास वजह है कि आज हम अपने देश के बड़े शहरों में रहते हुए खुद की तुलना विदेशों से करने लगे हैं और इसकी वजह भी है कि हम आज अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से कंधे से कंधा मिलाने में सक्षम हैं। बात चाहे बॉलीवुड से हॉलीवुड के सफर तक कि हो चाहे स्पोर्ट्स की। हम कई मायनों में आज उनके बराबर और कई मायनों में उनसे आगे भी हैं हम ग्रहों तक पहुँच चुके और पहुँचने के सपने भी देख रहे जिसके हम काबिल भी हैं जहां एक ओर हमारे देश में छोटे शहरों और गांवों से प्रतिभाएं निकल कर सामने आ रही है और देश को गौरवन्तित कर रहीं है और होना भी चाहिए क्योंकि आज हम इक्कीसवीं सदी में जो जी रहें हैं और दूसरे देशों के बराबर खड़े होने की हमारे अंदर क्षमता भी है। ये सब देखकर और सुनकर हमें हिंदुस्तानी होने पर गर्व भी है और कल भी था क्योंकि हमने उस धरती पर जन्म लिया है जिसमें महाराणा प्रताप, शिवाजी, लक्ष्मीबाई, पृथ्वीराज और फिर वीर अब्दुल हमीद, स्वामी विवेकानंद, शुभाष चन्द्र बोस,चन्द्रशेखर,भगतसिंह, राजगुरु,शुखदेव इत्यादि वीरों ने इसी धरती पर जन्म लिया इसलिए हमें हिंदुस्तानी होने पर सदैव गर्व रहेगा। आज की पीढ़ी को हम इन्ही लोगों का नाम याद दिलाकर प्रेरित करते हैं जो जाति पाति धर्म और भेदभाव के बिना सदैव देश और समाज के हित के बारे में सोचते थे। आज हमारे प्रधानमंत्री को विदेशों से बुलावा आता है और वो जाते हैं देश और समाज हित के लिए दोनों देशों के बीच वार्तालाप भी होते हैं बात सिर्फ यहाँ आज की ही नहीं हो रही बात पूर्व से भी है।
हम विदेशों को देखकर अपने देश में भी बुलेट ट्रेन चलाने के सपने देखते हैं जो कि मुमकिन भी है। पूर्व में और अभी हमारे देश को चलाने वाले सत्ताधारी लोग ये बताएं किस देश में आरक्षण और sc/st एक्ट जैसे प्रावधान लागू हैं क्या हमको शर्म नहीं आनी चाहिए कि जिस देश के हम वासी हैं जिसपर हमें और हमारी पीढ़ियों को सदैव से गर्व रहा है जो हमेशा जाति और धर्म से ऊपर बाते करते रहें हैं आज सत्ता में बैठे हुए लोग वोट और नोट के लिए हर रोज वो गन्दी हरकत करते हैं। ऐसा आखिर क्यों?
जोकि सत्तर साल पहले की गई थी तब शायद कुछ एक मजबूरी रही होगी जिसकी वजह से यह कृत्य किया गया था लेकिन आज मजबूरी साफ नजर आती है जोकि वोट और नोट की मजबूरी है ऐसे में हमारे देश का भविष्य क्या होगा ये बहुत ही चिंता जनक विषय है।ऐसा आखिर क्यों?
अब देखने वाली बात ये है कि जो लोग अक्सर अपना काम छोड़कर भारत बंद के लिएे खड़े हो जाते हैं इसका कितना प्रभाव सत्ताधरियों पर पड़ता है। इसी उम्मीद के साथ कि हमारे देश को भी इस गन्दे मायाजाल से जल्द ही आजादी मिलेगी। ऐसा आखिर क्यों?
– कानपुर से प्रदीप दीक्षित

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