लोकसभा चुनाव 2019: आज मोदी को अगर कोई हरा सकता है तो वो है खुद मोदी

आज मोदी को अगर कोई हरा सकता है तो वो है खुद मोदी । आज के राजनैतिक हालात में मोदी अजेय है, अपराजेय हैं !

मोदी को हराना है तो मोदी बनना पड़ेगा, मोदी की तरह सोचना पड़ेगा और मोदी की तरह ही चालें चलनी पड़ेंगी। मोदी को हराने के ख्वाब देखने वालों को अपनी लकीर मोदी की खींची गई लकीर से बड़ी खींचनी होगी, मोदी की खींची हुई लकीर को छोटा कर के मोदी को नहीं हराया जा सकता।

2019 के लोकसभा चुनाव का सफर अब धीरे धीरे अपने अंतिम पड़ाव की ओर है। सिर्फ एक चरण के चुनाव बचे हैं और फिर ये सफर थम जायेगा अगले पाँच सालों के लिये। ये चुनाव भारतीय राजनीति के लिये कितना अहम है ये इसी बात से समझा जा सकता है कि इसमें पार्टी नेपथ्य में चली गयी है और पूरे चुनाव की धुरी सिर्फ एक आदमी के इर्द गिर्द सिमट कर रह गयी है जिसका नाम है नरेन्द्र मोदी।

नरेंद्र मोदी, भारतीय राजनीति का वो सबसे रहस्यमयी चेहरा जिसके चाहने वाले बेहिसाब हैं तो उससे नफरत करने वाले भी बेशुमार। एक तरफ जहाँ उनके विरोधियों ने अपने सारे घोड़े खोल रखे हैं वहीं दूसरी तरफ उनके समर्थक अपनी पूरी ताकत से उसके पीछे लामबंद हैं। विरोधियों का लक्ष्य है कि मोदी को दोबारा आने नहीं देना है तो मोदी के समर्थकों की जिद है कि मोदी को जाने नहीं देना है और इसी जद्दोजहद में पूरा चुनाव सिमट कर रह गया है। गलत नहीं होगा अगर कहें कि इस बार का पूरा चुनाव मोदीमय हो चुका है। या तो आप मोदी के साथ हैं या फिर मोदी के खिलाफ हैं लेकिन केंद्र में मोदी ही हैं।

कई मायनों में ये चुनाव अभूतपूर्व है। पहला तो ये कि एक खास वर्ग मोदी को हटाना तो चाहता है लेकिन मोदी नहीं तो फिर कौन का जवाब नहीं देता। भाजपा की कोई बात नहीं हो रही है बस मोदी को हटाना है, क्यों हटाना है पता नहीं लेकिन हटाना है। ये है इस व्यक्ति से कुछ लोगों की नफरत का आलम। खुद का पता नहीं लेकिन मोदी न रहें अगले प्रधानमंत्री सारी ताकत बस इसी बात में लगी हुई है।

कभी पूरे देश पर एकछत्र राज करने वाली इस देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की दरिद्रता का तो ये आलम है कि जिस देश मे बहुमत के लिये 272 सांसदों की जरूरत होती है वहाँ उसके पास इतनी भी सीटों पर चुनाव लड़ने लायक लोग तक नहीं हैं। राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का ख्वाब देख रही वैचारिक रूप से कंगाल हो चुकी ये पार्टी देश की कुल जमा 230 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें से खुद राहुल गांधी दो जगह से चुनाव लड़ रहे हैं यानी कुल 229 सीटों पर चुनाव लड़ने का हौसला दिखा पाई है ये पार्टी।

चुनाव प्रचार की बात करें तो आधा चरण समाप्त होते होते जहाँ विपक्ष हाँफने लगा वहीं दूसरी ओर मोदी ने अपना प्रचार इतना ऊंचा उठा दिया है कि विपक्ष कहीं नजर ही नहीं आ रहा। आक्रामकता ऐसी कि जवाब के नाम पर वही घिसी पिटी बातें दोहराई जा रही हैं। चौकीदार चोर है का नारा लगवाते समय जो विद्रूपता भरी हँसी राहुल गांधी के चेहरे पर उभरती थी उसे जैसे ही मोदी ने “चोर था” के नारे में बदला पूरी कांग्रेस, उसका पूरा इको सिस्टम और उसके पाले हुये सभी गुलाम लगे कलपने। कल तक चौकीदार चोर है चीखने वाले ये लोग राजीव गांधी को चोर कहे जाने पर नैतिकता की दुहाई देने लगे। जीवित व्यक्ति की बिना सबूत, बिना किसी ठोस तथ्य के इज्जत यूँ सरेराह उछालने वाले लोगों को जवाब जब उसी भाषा में मिला तो उनकी तड़प देखने लायक थी।

राहुल तो खैर इस देश की राजनीति में एक जीते जागते लतीफे से ज्यादा कुछ हैं नहीं उनकी नैया पार लगाने उतरीं उनकी बहन प्रियंका वाड्रा उनसे भी दो हाथ आगे निकलीं। बात मोदी विरोध तक सीमित रहती तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन मोदी से नफरत की इंतेहा देखिये इस खानदान की कि जिसकी खुद की माँ, भाई और पति तक चोरी, चकारी और तमाम घोटालों में जमानत पर घूम रहा है वो औरत छोटे छोटे बच्चों से मोदी के खिलाफ कितने आपत्तिजनक और अभद्र नारे लगवा रही है और कितनी खुश हो रही है। चेहरा देखिये प्रियंका वाड्रा का उस समय कितनी खिलखिलाहट और मक्कारी भरी हँसी उसके चेहरे पर नुमाया हो रही है कि घिन आने लगती है इन लोगों से। जो शब्द हम और आप अपने घर में नहीं बोल सकते उन शब्दों को छोटे छोटे मासूम बच्चों, जिन्हें इसका अर्थ तक नहीं पता होगा से बुलवा कर ये कैसा आनन्द ले रही है। दरअसल ये मोदी से लड़ना तो दूर उनके बरअक्स खड़े तक न हो पाने की वो कुंठा है जिसकी जलन की आग में ये पूरा खानदान जला जा रहा है।

राहुल दावा कर रहे हैं कि वो मोदी की इमेज खराब कर देंगे माने खुद तो कुछ कर नहीं पायेंगे बस कीचड़ ही उछालते रहेंगे लेकिन राहुल ये भूल रहे हैं कि कीचड़ जब दूसरों पर फेंका जाता है तो हाथ तो खैर खुद के गंदे होते ही हैं कुछ छींटे अपने पर भी पड़ते हैं और राहुल का तो पूरा बैकग्राउंड ही कीचड़ में सना हुआ है। और फिर एक तथ्य ये भी है कि कीचड़ ये जितना फैलायेंगे कमल उतना ही खिलता चला जायेगा।

बाकी किसी की बात ही क्या करना ? चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री बनने की इच्छा लिये NDA से अलग हुये आज उनको अपना राज्य बचाना भारी पड़ रहा है। अखिलेश यादव, मायावती, तेजस्वी यादव जैसे लोग क्या बोल रहे हैं ये वो खुद ही समझ नहीं पा रहे। एक ले देकर ममता बनर्जी हैं जो मुखर हैं लेकिन उनको कंकर पत्थर की मिठाई भेजनी है मोदी को। कुल मिला कर एक हताश, निराश और लुटा पिटा विपक्ष मोदी के सामने है जिसमें न तो कोई ऊर्जा है, ना आगे के लिये कोई दिशा है और न ही मोदी से मुकाबला करने की ताकत, कम से कम चुनाव प्रचार तो अब तक यही संकेत देता है।

विपक्ष की दरिद्रता का आलम ये है मोदी विरोध की बड़ी बड़ी बातें करने वाले ये तमाम स्वनामधन्य नेता मोदी के खिलाफ कोई मजबूत प्रत्याशी तक नहीं दे पाए बनारस में। 2014 तक मोदी को गुजरात से बाहर जानता कौन है कहने वाले कांग्रेसियों को इस बात पर भी शर्म नहीं आयी कि गुजरात से उत्तर प्रदेश आकर भी मोदी ने कांग्रेस को उस उत्तर प्रदेश में दफन कर दिया जहाँ इनके प्रथम परिवार, इनके आराध्य की नाल गड़ी हुई है और ये उत्तर प्रदेश में ही नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने की ताकत तक नहीं रखते। बड़े गाजे बाजे के साथ हल्ला मचाया गया कि प्रियंका वाड्रा लड़ेंगी मोदी के खिलाफ लेकिन नामांकन का समय आते आते उनको भी अपनी वास्तविक औकात का अंदाजा हो गया और पानी का ये बुलबुला भी फूट गया।

– मोहसिन अंसारी, सहारनपुर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।