साक्षी-अजितेश प्रकरण पर मीडिया की कार्य शैली पर क्या कहते है उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आशीष मिश्र

प्रयागराज- विगत हफ्ते में बरेली की लव स्टोरी जैसे मुद्दे पर भारतीय मीडिया ने बड़ी ईमानदारी से इस मामले को दिखाया सुनाया व फैलाया। कुछ मीडिया ने तो मीडिया ट्रायल ही चला दिया जिसमें जज ऐसे ही लोग बने थे जिसे भारत की गरीमा सभ्यता व व विशेषता को तार तार करने का संकल्प कर लिया है। उन्हें ये नहीं मालूम भारतीय संस्कृति आध्यात्मिक वाली है न की भोग वादी जो समाज को मजबूत व ब्यवस्थित रखने केलिए संकल्पित है। हिन्दू धर्म में शादी संस्कार है न की करार हैं ,आज प्रश्र येहै माता-पिता का पुत्र व पुत्री के सन्दर्भ में अधिकार सिर्फ पैदा करने पालने पोसने तक ही रह गया है। नहीं माता-पिता का अधिकार बिवाह तक रहता है क्योंकि जो माली पौधे को सींचते हैं उनका इच्छा होती है पुष्प अच्छे जगह पहुंचे। लेकिन अपार कष्ट की अनुभूति होती है जब पुष्प पहले ही उजड़ जाये। आज प्रश्र इस बात का भी है कि संविधान समाज से है या संविधान के लिए समाज है। संविधान की दुहाई देने वाले एक व्यक्ति विशेष के अधिकार के लिए कितने लोगों का अधिकार छिनना कहा का न्याय है आज की मीडिया अधिकार की बात तो करती है लेकिन कर्त्तव्य के बारे में मौन हो जाती है।एक लड़की या लड़के का कर्त्तव्य माता-पिता के प्रति क्याहै ये मीडिया वाले न तो दिखाया न ही सुनाया। अगर समाज में ऐसे ही घटनाओं को महत्व दिया गया तो बरसों पुरानी भारतीय संस्कृति को ध्वष्त होने में समय नहीं लगेगा। अतः मीडिया से अनुरोध है राष्ट्र हित को बढ़ावा दे, लोगों के अधिकार के साथ साथ कर्तब्य का भी बोध कराते रहें, समाज को जोड़ने की बात करें तोड़ने वालो को कम से कम कवरेज करें। जो वाकई में चौथे स्तम्भ का रोल अदा कर सके।
– आशीष कुमार मिश्र एडवोकेट उच्च न्यायालय इलाहाबाद प्रयागराज

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