मिल सकता है शिक्षामित्रों को जीवनदान?

यूपी में सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ग्रामीण/नगरीय क्षेत्र में रखे गये संविदा कर्मचारी के बारे में सरकार ने अभी तक फैसला नही लिया इन लोगो के लिए कोई कार्य योजना अभी तक नही बनाई गई 31 मार्च 2019 से पहले इनके भविष्य के लिए सरकार को कार्य योजना बनानी है। एक यही रास्ता है जो शिक्षामित्रो को नौकरी में जीवन दान दे सकता है। इस नियम के अंतर्गत ही अप्रशिक्षित स्नातक अध्यापक रखे जा सकते थे। यह भारत सरकार की नियमावली 3 सितम्बर 2001 के अंदर कर्मचारी नियुक्त करने की पावर देती है। थोडा पीछे जा कर यह बताना चहाता हूँ की आप की दूरस्थ बीटीसी की ट्रेनिग इसी नियम के आधार पर हुई थी।इसी लिए इसका खर्च सर्व शिक्षा अभियान के मद से भारत सरकार ने उठाया था। जब आप प्रशिक्षित इस नियम से हुए है तब नियमतिकरण या प्रशिक्षित वेतनमान भी इसी नियम पर ले सकते है। इन सब तथ्य की जानकारी करने पर ही आप को यह बताया जा रहा है। इस नियमावली से उत्तर प्रदेश में ही नही अन्य प्रदेशों में भी अस्थाई कर्मचारी रखे गये थे। अभी तक शिक्षामित्र भर्ती 26 मई 1999 एव 1 जुलाई 2000 और 1 जुलाई 2001 के अंतर्गत ही हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में जजमेंट आये है। सर्व शिक्षा अभियान पर किसी भी कोर्ट द्वारा कोई जिक्र नही किया गया है। हमारा प्रयास है लोगो के लिए कोर्ट से राहत का दरवाजा खुलवाना अगर हम अपने प्रयास में सफल हो गये तब सरकार को भी कोर्ट का आदेश मानना होगा। अभी वर्तमान में 124000 को किसी प्रकार से राहत मिलने की उम्मीद नही दिख रही है। हम योग्यता को आधार बना कर इस लिए लड़ने का प्रयास कर रहे है की कोई कमजोरी न रहे जब सफल हो जायेगे तब हम योग्यता ग्रहण करने के अधिकार पर भी लड़ सकते है। जब हाथ में कुछ क़ानूनी ताकत होगी तब हम आगे भी लड़ सकते है। हमारा प्रयास है सभी को योग्यता अनुसार न्याय दिलाना हाईकोर्ट में हमारी टीम प्रवेश कर चुकी है। कुछ गोपनीयता बना कर रखना जरूरी है। इस लिए पूरी जानकारी नही दी जा रही है। हमारे टीम के सदस्य ऐसे है की उन्हें अपने नाम का प्रचार नही कराना है केवल सम्मान वापस चहाते है। और हमे अपने परिवार का मुखिया मानते है। इसमे कई जनपद के लोग हमारे साथ जुड़ कर मिशन के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे है। हमे मानदेय नही प्रशिक्षित वेतनमान चाहिए संघर्ष बहुत बड़ा है यह हम जानते है लेकिन सफल होने पर सभी को सम्मान भी बड़ा ही मिलेगा। शहीदों की नगरी शाहजहाँपुर से जो आबाज आप के सम्मान को वापस लाने के लिए उठी थी। वह जब तक सम्मान आपको वापस नही मिल जाता तब तक उत्तर प्रदेश में गूँजती रहेगी।

– देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
शाहजहाँपुर

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