आपसी प्रेम और सौहार्द की मिसाल: सैंकड़ों साल पुरानी मस्जिद की देख रेख करते है बुजुर्ग रामबीर

*मुज़फ्फरनगर जनपद के थाना भोपा क्षेत्र के हिन्दू बाहुल्य गांव नन्हेड़ा में 120 साल पुरानी ब्रिटिश काल की मस्जिद की देखभाल करता हिन्दू परिवार

* इस गाँव मे नही है कोई भी मुस्लिम परिवार

*गाँव के हिन्दू लोग करते है मस्जिद की सुरक्षा और देखभाल

मुज़फ्फरनगर /भोपा – जी हाँ जनपद मु0 नगर के थाना भोपा क्षेत्र के गांव नन्हेड़ा की अगर हम बात करें तो यह गांव दूसरे अन्य ग्रामों के लिए मिसाल कायम करता है ।

जिसका कारण है की इस हिन्दू बाहुल्य गांव में अंग्रेजों के समय में बना एक धार्मिक स्थल(मस्जिद) इस धार्मिक स्थल की देख रेख से लेकर इसकी सुरक्षा साफ सफाई आदि की व्यवस्था काफी लम्बे समय से गांव का ही रामबीर पुत्र जमल सिंह करता चला आ रहा है ।

बता दें गैर मुस्लिम इस गांव नन्हेड़ा में स्थित सौ वर्ष पुरानी मस्जिद की हिफाजत पचास वर्षों से भी अधिक समय से हिन्दू समुदाय के लोग करते आ रहे है
और सात सितंबर 2013 को चारों और फैली सांप्रदायिक दंगे की नफरत की आग भी इस नंहेड़ा गांव के लोगों को विचलित नहीं कर सकी।

ग्रामीण बताते हैं की पचास वर्ष पहले गांव से मुस्लिम समाज के लोग यह गांव छोड़ कर चले गये थे।
गांव की एक मात्र इस मस्जिद में प्रतिदिन साफ सफाई का कार्य तो होता ही है साथ ही त्यौहार पर रंग रौगन पुताई आदि भी की जाती है।

इस गांव के ग्रामीणो का कहना है कि हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल व अपने गांव की प्राचीन धरोहर को वो लोग खोना नहीं चहाते हैं।

बता दें जिला मुख्यालय से लगभग बीस किलो मीटर दूरी पर स्थित मुझेड़ा-बसेड़ा मार्ग पर बसे साड़े तीन हजार की आबादी वाले इस गांव नंहेड़ा में सैकड़ो वर्ष पुरानी मस्जिद हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतीक बनी हुई है।

इस गांव के बुजुर्गो का कहना है कि पुराने जमाने में सिया समुदाय द्वारा मस्जिद का निर्माण कराया गया था उस समय शिया समुदाय के जुम्मेदार लोगों में गिने जाने वाले बन्ने मिया,बुद्दन मिया आदि मस्जिद की देख भाल व कार्यक्रमों का आयोजन किया करते थे।

उस समय की कुल आबादी की दस प्रतिशत की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग गांव में निवास करते थे बताया गया है कि नंहेड़ा जाट बाहुल्य गांव होने के बाद भी आपसी सोहार्द की यहां कोई कमी नहीं थी।रोजगार की समस्यां के चलते धीरे धीरे विशेष समुदाय के लोग गांव छोड़ते चले गये, जो आस पास के अन्य ग्रामों रथेड़ी,भाेपा,मोरना,मीरापुर,खुड्डा आदि गांव में जाकर बस गये थे।

सात सितंबर 2013 को क्षेत्र के गांव जौली में भड़की की दंगे की ज्वाला में, पास के ही गांव बसेड़ा निवासी ब्रजपाल की हत्या कर दी थी। उस समय चारो और फैली नफरत की आग और पडौसी गांव निवासी किसान ब्रजपाल की ह्त्या के बाद भी नंहेड़ा गांव की हिंदू मुस्लिम एकता की पहचान को कोई नफरत डिगा नहीं सकी थी ।

इतना ही नहीं मुख्य मार्ग पर होने कारण मस्जिद को कोई नुक्सान ना पहुंचा सके इसी कारण सात सितंबर की पूरी रात्री में ग्रामिणों ने यहां पहरा देकर सुरक्षा भी की थी। ग्राम प्रधान चौधरी दारा सिंह का कहना है कि मस्जिद में नियमित रूप से साफ सफाई की जाती है और रख रखाव का भी ध्यान रखा जाता है।

उन्होंने बताया की गांव में तीन मंदिर है, ठीक उसी प्रकार से गांव के लोग मस्जिद को भी मानते है। मस्जिद के इर्द गिर्द चौधरी बुद्धसिंह, रविन्द्र, रामकुमार,विनय का मकान है।उनका कहना है कि उनके पूरवज बताते थे कि दोनों समुदाय के लोगों में यहां अटूट प्रेम रहता था ।

मस्जिद उनके पूर्वजो व हिंदू मुस्लिम भाई चारे की मिशाल है जिसे पूरा गांव कभी खोने नहीं देगा उन्होंने बताया की गांव के ही रामबीर कश्यप मस्जिद की देख भाल करने की जुम्मेदारी काफी लम्बे अरसे से निभा रहे है साथ ही साथ उन्होंने जिला प्रशासन और प्रदेश के मुख्य मंत्री से इस धार्मिक स्थल की दशा और दिशा सुधरवाने की भी अपील की है उनके कहना है की रामबीर ही अपने हर्जे खर्चे से इसकी देख भाल करता चला आ रहा है ।।

– मुजफ्फरनगर से भगत सिंह

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