झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से प्रसव के दौरान महिला की मौत

कानपुर – बर्रा तात्याटोपे नगर मेें एक कालोनी में चल रहे अस्पताल में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से प्रसव कराने आई एक महिला की जान चली गई। यह अस्पताल झोलाछाप डॉक्टर द्वारा संचालित किया जा रहा था। यह अस्पताल प्रॉपर्टी डीलर अजय तिवारी का बताया जा रहा है। अजय तिवारी से जब प्रसव कराने वाले डॉक्टर का नाम पूछा गया तो उनका कहना था कि डॉक्टर का नाम उन्हे नहीं मालूम अस्पताल का कर्मचारी ही उनका नाम बताएंगे।
कच्ची बस्ती मायापुरम का रहने वाले नरेश ने कल शाम 4ः00 और 5ः00 बजे के बीच अपनी 28 वर्षीय पत्नी मीनू को तात्याटोपे नगर स्थित श्री बालाजी हस्पिटल में र्ती कराया था। बताया जा रहा है की रात्रि 9 और 10 बजे के बीच प्रसव के दौरान उसकी पत्नी मीनू की मौत हो गई। किसके बाद अस्पताल में उपलब्ध झोलाछाप चिकित्सक और स्टाफ अस्पताल बंद करके भाग निकले। सुबह मीडिया और पुलिस तक खबर पहुॅचने पर हाॅस्पिटल संचालक द्वारा 1 लाख रूपये मृतक मीनू के पति नरेश को देकर उससे समझौता कर लिया गया। जिससे की किसी तरह की कार्यवाही ना हो सके। आपको बता दें कि यह अस्पताल प्रपर्टी डीलर अजय तिवारी का है। और मात्र 50 वर्गगज की एक कालोनी में चल रहा है।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब झोलाछाप डॉक्टर की वजह से मरीजों की जान चली गयी हो। आपको बता दें कि कानपुर दक्षिण में कई स्थानों पर 50 से 60 वर्ग गज एरिया में हाॅस्पिटल बना दिए गए हैं। जो सिर्फ डाॅक्टर के नाम पर चलाये जाते है। नियमानुसार 24 घन्टे एक एमबीबीएस डॉक्टर 24 घन्टे हाॅस्पिटल में मौजूद होना चाहिये। लेकिन यहां सिर्फ डाक्टर्स के नाम पर हाॅस्पिटल चलाया जाता है। जहां पर सुविधाओं के नाम पर बड़े बड़े दावे किये जाते है लेकिन हाई स्कूल और इंटर पास लड़के लड़कियों द्वारा यह हस्पिटल चलाया जाता है और मरीज आने के बाद डाॅक्टर को बाहर से बुलाया जाता है। चाहे भले ही डाक्टर के आने से पहले मरीज की जान चली जाये। और कई बार तो ऐसा होता है कि डाक्टर फोन पर दवाई बता देता है।और हाई स्कूल और इंटर पास लड़के लड़कियों द्वारा इलाज शुरू कर दिया जाता है।
ज्यादातर हस्पिटलों के मालिक डॉक्टर है ही नहीं। बिना कोर्स किए हुए अनट्रेन नर्स टेक्नीशियन द्वारा ही मरीजों की देखभाल की जाती है। और ये ही लड़के लड़कियां मरीजों का ब्लड सैंपल लेने और बिगो लगाने जैसे काम करते समय मरीजों की हाथ की नसों में दर्जनों बार सूईयां चुभाते रहते हैं जब तक कि उनको ब्लड सैंपल ना मिल जाये। इस सम्बन्ध में जब सीएमओ से जानकारी लेनी चाही गयी तो उनका कहना था कि मै अभी बाहर हॅॅॅू आने पर बात कर पाउगां।
कल सीएमओ से बात के बाद फिर से आपको अवगत कराएंगे की क्या नियम है किसी भी हॉस्पिटल को चलाने के लिए और कितना पालन हो रहा है। इन नियमों का।
-कानपुर से आकाश रावत की रिपोर्ट

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