नई उर्जा के साथ करें भारतीय नव वर्ष का स्वागत

भारतीय नववर्ष की चैत्र माह की प्रतिपक्ष के प्रथम दिन से शुरू होता है। भारतीय विद्वानों ने हजारो साल पहले बता दिया था कि इस दिन इस समय सूर्यग्रहण और इस दिन चन्द्रग्रहण होगा।उसी दिन ग्रहण पड़ता है। भारतीय परम्परा में के अनुसार आज भी ग्रामीण इलाको में लोग रात के चन्द्रमा की गति देखकर समय व तिथि का अनुमान सहज ही लगा लेते है। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के जिस दिन से विक्रमी संवत् शुरू होता है वही इस संवत् का राजा होता है।समस्त शुभ कार्य इसी पचांग की तिथि से ही किये जाते है। किसी शुभ कार्य को सम्पन करने के लिए जब हम देवताओ का आह्वान करते है उससे पूर्व एक संकल्प मंत्र बोला जाता है।कैलेंडर के मुताबित पहली जनवरी को नया साल मनाया जाता है। वह उमंग भारतीय नववर्ष को नही दिखती है।आज भारतीय नववर्ष लोगो को याद भी नही रहता है। परम्परा के अनुसार इस दिन चैत्र नवरात्रो का आरंभ होता है। इस दिन से भारतीय नववर्ष शुरू होता है।भारतीय ज्योतिष के अनुसार ग्रह नक्षत्रो की नई चाल इसी दिन से शुरू होती है। मनुष्य के जीवन में ग्रहो का विशेष प्रभाव होता है।शनि सूर्य के पुत्र है शनि को न्याय का काम सौपा गया है। वह दंड के देवता है शनि का रंग काला है काला रंग न्याय का प्रतीक है।काले रंग पर कोई रंग नही चढ़ता है कार्य को न्यायोचित करवाना शनि का कार्य है। शनि परम कल्याण के प्रेरक है। कल शनिवार को शनि अमावस्या है।और अगले दिन रविवार को नववर्ष शुरू हो रहा है। कहा जाता है की चैत्र प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। मनुष्य जीवन में परिवर्तन ग्रहो की चाल से आता है। व्रतो उपवासों नियमो से पपकर्मो और दुखों से छुटकारा मिलता है।

देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा

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