नए बिहार का नया लैंडमार्क गौरवशाली बिहार का प्रतिनिधि : डॉ नीतू कुमारी नवगीत

बिहार: हाजीपुर – सभ्यता द्वार बिहार का नया लैंड मार्क है । इससे पहले गोलघर को बिहार की पहचान के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा था । गोलघर का निर्माण अंग्रेजों ने अकाल के समय अनाज रखने के लिए किया था । इस तरह देखा जाए तो गोलघर बिहार के इतिहास का हिस्सा होते हुए भी ब्रिटिश दासता और बिहार की बेचारगी का प्रतिनिधित्व करता रहा था । गुलामी की जंजीरों में जकड़े एक ऐसे बिहार का जहां पर किसानों और मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी और गरीबी एवं अकाल के कारण लोग पलायन करते थे । बाढ़, अकाल और गरीबी की विभीषिका को झेलने के अभिशप्त रहने के बावजूद यह बिहार की असली पहचान कभी नहीं रही । वस्तुतः बिहार गौतम बुद्ध और भगवान महावीर की धरती रही है । यहां पर चंद्र गुप्त मौर्य और अशोक जैसे शासकों ने जनकल्याण की नई परिभाषाएं रची । चाणक्य जैसे महान विचारक और राष्ट्र निर्माता यहां पर अवतरित हुए जिन्होंने अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ के माध्यम से कल्याणकारी शासन व्यवस्था की नई परिभाषा दी । बिहार में आर्यभट्ट हुए जिनके प्रयासों से ब्रमांड की कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाया जा सका । बिहार में नालंदा, विक्रमशिला और तेल्हारा में शिक्षा के बड़े-बड़े केंद्र हुए जहां ज्ञान प्राप्त करना पूरे विश्व में गौरव जी बात मानी जाती थी । बिहार में शेरशाह सूरी हुए जिन्होंने रुपए पर आधारित आधुनिक मुद्रा प्रणाली और सड़क-ए-आजम बनाकर परिवहन की राष्ट्रीय राजमार्ग वाली व्यवस्था की शुरुआत की । इतने महान प्रांत का प्रतिनिधित्व गोलघर जैसी इमारत नहीं कर सकता था । फिर भी लगभग सौ साल तक गोलघर बिहार काB लैंडमार्क रहा । अब सभ्यता द्वार बनकर तैयार हो गया है जो सही मायने में गौतम बुद्ध, तीर्थंकर महावीर, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य अशोक और शेरशाह सूरी जैसे शिक्षण केंद्रों का सच्चा प्रतिनिधि है । गेटवे ऑफ इंडिया और गोलघर से भी ऊंचे गौरभशाली बिहार के सच्चे प्रतिनिधि ज तौर पर सभ्यता द्वार की भव्यता हर बिहार के जेहन में समाहित हो। हम बिहारी अपने इस नये लैंडमार्क पर गर्व करें।

-नसीम रब्बानी, पटना /बिहार

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