पिचकारियों व रंग गुलाल पर चढ़ा महंगाई का रंग

भदोही । रंगों के त्योहार होली पर बच्चे रंग बिरंगी पिचकारी तथा रंग गुलाल को न ले एेसा हो ही नहीं सकता। न सिर्फ बच्चे बल्कि युवा भी पिचकारियों व रंग गुलाल से साथियों पर जमकर रंग बिखेरते हैं। होली के त्योहार में दो दिन शेष है एेसे में बाजार में भी विभिन्न तरह की रंग बिरंगी पिचकारियों व रंग गुलाल से दुकाने सज गईं है। जगह जगह सजी दुकानों पर पिचकारियां तथा रंग गुलाल लोगों को अपनी आेर आकर्षित कर रही है लेकिन इस बार पिचकारियों पर महंगाई का असर दिख रहा है। बाजार में कई तरह की चिपकारियां आ चुकी है। कम से कम पांच रुपये से लेकर 60 रुपये तक की पिचकारियां दुकानों पर उपलब्ध है। बच्चों को भाने वाली चिपकारियां कई आकृति में है। सब्जियों के रूप में, राकेट के रूप में, जहाज व आलू और मछली के अलावा रोबोट समेत अनेक कार्टून की आकृति की भी पिचकारियां बाजार में पहुंच चुकी है। एक जमाना था जब बोतल में लगाने वाली स्टील, बांस की पोल और प्लास्टि की पिचकारी का चयन था अब आधुनिक युग में इनकी डिमांड लगभग समाप्त सी हो गई है। गोपीगंज, ज्ञानपुर, भदोही, औराई, चौरी, सुरियावां, मोढ़, जंगीगंज, महराजगंज सहित नहर में जगह जगह पिचकारियों की दुकानें सज गई है। छोटे बच्चों ने घरों में अभी से पिचकारियों के लिए मचलना शुरू कर दिया है। और परिजनों के साथ दुकानों पर पहुंच रहे है। फलों के रूप में, पिस्तौल की शक्ल में व अन्य देवी देवताआें के रूप में पिचकारियां बाजार में आ चुकी है। जो पिचकारियों की डिजाइनें आकर्षक हैं कि उन्हें देख बच्चे खरीद रहे हैं। महंगाई को देखते हुये इस बार व्यापारियों ने माल कम मंगाया है। ज्यादातर व्यापारी तो पिछले वर्ष की बची हुयी पिचकारी को सामने लाकर रख दिया है ताकि यह भी बिक जाय। कुछ दुकानदारों का कहना है कि इस बार सरकार द्वारा नए-नए कर लग जाने के कारण सामानों पर बोझ अधिक पड़ गया जिससे पिचकारी व रंग गुलाल महंगे की वजह से खरीदार कम दिखाई पड़ रहे है। तथा इन सामानों में अधिक पूंजी नहीं लगाया गया है।

रिपोर्ट-:आफ़ताब अंसारी

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