पिछली सरकार का सहयोग होता तो काशी विश्वनाथ मंदिर का शिलान्यास नही आज उद्घाटन होता:नरेन्द्र मोदी

*श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना का प्रधानमंत्री ने किया शिलान्यास और भूमि पूजन

*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर

*मंदिर का प्रवेश द्वार 50 फीट से ज्यादा चौड़ा बनाया जाएगा

वाराणसी- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण कार्य मे हुए विलम्ब पर अपना पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि यदि पिछली सरकार का सहयोग प्राप्त हुआ होता तो आज श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का शिलान्यास नही, उद्घाटन होता। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर बाबा भोले नाथ के मुक्ति का पर्व हैं। सदियों तक बाबा को सांस लेने में भी दिक्कत होती रही। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास करने के पश्चात बाबा भोलेनाथ के भक्तो को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज मेरा भी सौभाग्य है कि जिन सपनों को अरसे से संजोया था, वह आज पूरा हो रहा है। राजनीति में नहीं था तब भी यहां आता था। कई बार आया लेकिन नजर आता कि कुछ करना चाहिए। लेकिन पता नहीं शायद भोले बाबा ने तय किया होगा कि बेटे बातें बहुत करते हो आओ यहां करके दिखाओ। आज बाबा के आदेश से सपना साकार होने का शुभारंभ हो रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर में आज भोले बाबा के मुक्ति का पर्व है। चारों ओर दीवारों से घिरे बाबा को सांस लेने में दिक्कत होती थी। अगल-बगल कई मकानों ने घेर रखा था। बाबा के भक्तों को अब विशालता की अनुभूति होगी। करीब तीन सौ प्रापर्टी को लेकर जिस प्रकार सहयोग दिया वह अनुकरणीय है। अपनी इस जगह को छोडकर बाबा के चरणों में समर्पित कर दी। यह काम लोगों ने किया है उनका भी सांसद के रूप में आभार और अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने इसे अपना काम मानकर पूरा किया। कितने सदियों से यह स्थान दुश्मनों के निशाने पर रहा। कितनी बार ध्वस्त हुआ अस्तित्व विहीन रहा। यह क्रम सदियों से चलता रहा। महात्मा गांधी जब आए तो उनके मन में भी पीड़ा रही। उन्होंने बीएचयू में भी अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। उनकी बात को अब सौ साल होने जा रहे। अगर आप सोमनाथ जाएंगे तो सोमनाथ में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन उसको भी ढाई सौ साल बीत गए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं हैरान हूं जब इतनी सारी इमारतों को तोड़ना शुरू किया गया तो चालीस मंदिरों पर लोगों ने कब्जा कर रखा था। भोले बाबा ने चेतना जगाई। चालीस के करीब ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक मंदिर मिले जो अजूबा लगेगा कि यह काम कैसे हो गया। लोग दबाते गए आज उन मंदिरों के मुक्ति का भी नंबर आ गया। दशकों बाद इस बार यहां पर शानदार शिवरात्रि मनाई गई। बाबा का सीधा गंगा से संपर्क हो गया है। यह काशी विश्वनाथ महादेव भोले बाबा का स्थान है। काशी आने का मूल कारण यहां आने का उदेश्य है। उन्होंने कहा कि मंदिरों की रक्षा कैसे हो। उसकी आत्मा को बरकरार रखते हुए आधुनिक व्यवस्था हो, इसका बहुत अच्छा मिलन दिख रहा है। यह मंदिर मां गंगा से भी जोड़ेगा। इससे काशी को नई पहचान मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ढाई सौ साल बाद मेरे ही हाथ श्री काशी विश्वनाथ धाम के विकास एवं सुन्दरीकरण कार्य का शिलान्यास होना लिखा था। उन्होंने वर्ष 2014 में वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिये नामांकन के दौरान दिए अपने उदबोधन “मैं आया नहीं मुझे बुलाया है” का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे बुलावा ऐसे ही कामों के लिए था। मेरा संकल्प मजबूत हुआ है। यह काशी नहीं देश से जुड़ा है। बीएचयू से आग्रह है कि केस स्टडी करना चाहिए। काशी हिंदू यूनिवर्सिटी इस पर रिसर्च भी करे। ताकि दुनिया को पता चले कैसे लोगों के सहयोग से यह काम हुआ। शास्त्रों के मुताबिक कामों का पूरा पालन किया गया। ताकि आस्था पर खरोच न आए। उन्होंने कहा कि यह नव चेतना का केंद्र बनेगा, एवं सामाजिक चेतना का यह केंद्र बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पूर्व अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास किया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के मिर्जापुर मठ की जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरिडोर के लिए फावड़ा चलाकर और पांच ख़ास शिलाओं को विधिवत पूजन के बाद स्थापित कर शिलान्यास किया। आधारशिला वाली जगह पर मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। 39 हजार वर्ग मीटर में क्षेत्र एवं भूखंड पर कॉरिडोर का निर्माण होगा। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की डीपीआर तैयार हो गया है। मंदिर के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण पर 380 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मंदिर का प्रवेश द्वार 50 फीट से ज्यादा चौड़ा बनाया जाएगा। गलियारे के दोनों तरफ श्रद्धालु के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी। गौरतलब है कि माँ गंगा के पावन तट पर स्थित विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों हेतु सुगम दर्शन की सुविधा के दृष्टिगत श्री काशी विश्वनाथ धाम की विशाल रचना की जा रही है। जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को माँ गंगा से जोड़ेगा। ऐतिहासिक रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा वर्ष 1780 में कराए जाने के लगभग 239 वर्षों के उपरांत मां गंगा के आशीर्वाद से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की महिमा एवं वैभव को और प्रखर करने के लिए काशी के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्पित होकर इस नवनिर्माण की आधारशिला रखी है। उल्लेखनीय हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा भी वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अपने उद्बोधन में काशी में आने वाले दर्शनार्थियों एवं श्रद्धालुओं के मंदिर दर्शन हेतु संकीर्ण गलियों का उल्लेख किया गया था। वर्तमान में लगभग 100 वर्षों के पश्चात मंदिर की महिमा एवं वैभव को और प्रखर करने के लिए संकल्पित होकर यह नवनिर्माण कराया जा रहा है।
परियोजना का कुल क्षेत्रफल 39310.00 वर्ग मीटर है। इस परियोजना में मंदिर प्रांगण का विस्तार कर इसमें विशाल द्वार बनाए जाएंगे तथा एक मंदिर चौक का निर्माण किया जाएगा। जिसके दोनों तरफ़ विभिन्न भवन जैसे कि विश्रामालय, संग्रहालय, वैदिक केंद्र, वाचनालय, दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, व्यावसायिक केंद्र, पुलिस एवं प्रशासनिक भवन, वृद्ध एवं दिव्यांग हेतु एक्सीलेटर एवं मोक्ष भवन इत्यादि निर्मित किए जाएंगे। परियोजना अंतर्गत 330 मीटर लम्बाई एवं 50 मीटर चौड़ाई एवं घाट से एलिवेशन 30 मीटर क्षेत्र में निर्माण कराया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कॉरिडोर के शिलान्यास एवं भूमि पूजन से पूर्व यहाँ पहुँचने पर सर्वप्रथम बाबा दरबार मे हाजिरी लगाते हुए श्री काशी विश्वनाथ का विधि-विधान से दर्शन-पूजन व रुद्राभिषेक किया।
इस दौरान प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे।

रिपोर्टर-:महेश पाण्डेय नेशनल हेड(AV News)

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