महिला किसान ने जैविक खेती कर बनाई पहचान

मध्यप्रदेश-बड़वानी आज जब अधिकांश किसान रासायनिक खाद का प्रयोग कर अधिक से अधिक उपज लेने के लिए तत्पर रहते हैं, ऐसे समय में जिले की एक महिला कृषक ने जैविक खेती को अपनाया और इसके दम पर उन्होंने अपने छोटे से गांव बोरलाय से दिल्ली तक पहचान बना ली। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार भारतीय कृषि में महिलाओं के योगदान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि रियलिटी शो आयोजित करने जा रही है। इसमें देश की चुनिंदा 114 महिला कृषकों को चयनित किया गया है। जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
उक्त आयोजन में बड़वानी जिले के ग्राम बोरलाय निवासी ललीता पति सुरेशचंद्र मुकाती का भी चयन हुआ है। दिल्ली में जल्द ही होने वाले रियलिटी शो व अवार्ड के आयोजन की जिम्मेदारी दूरदर्शन को सौंपी गई है। इसमें सभी 114 महिलाओं का संक्षिप्त प्रोफाईल विडियो बनाया जा रहा है। साथ ही महिलाओं को दिल्ली बुलाकर स्टूडियो में भी रिकार्डिंग की जाएगी। आयोजन में 114 कृषक महिलाओं में से चयनित तीन महिलाओं को विशेष पुरस्कार भी दिए जाएंगे। हाल ही में दूरदर्शन की टीम ने बोरलाय पहुंच कर ललीता मुकाती का प्रोफाईल विडियो शूट किया है।
चौके से निकल ट्रेक्टर चलाने तक सीखा सबकुछ
ललीता मुकाती ने बताया कि उनके परिवार की कुल करीब 100 एकड़ जमीन है। उनके पति सुरेशचंद्र मुकाती कृषि विषय से एएमसी हैं। वे पूर्व से ही उन्न्त खेती कर रहे थे। इसके लिए विभिन्न् प्रशिक्षणों के लिए वे कभी एक सप्ताह तो कभी और अधिक दिनों के लिए बाहर जाते थे। इस दौरान खेतों में मजदूरों को देखने वाला कोई नहीं था। इसलिए उन्होंने निर्णय किया कि वे खुद खेतों में जाएगीं और कृषि कार्य में पति का हाथ बंटाएगी। घर से खेतों तक पहुंचने के लिए उन्होंने पहले स्कूटी चलाना सिखी और धीरे-धीरे सारे खेती उपकरण चलाना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने ट्रेक्टर चलाना भी सीखा।
नवाचार के लिए जैविक को अपनाया
ललीता मुकाती ने बताया कि रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों को देखते हुए 3 वर्ष पूर्व जैविक खेती करने का मन बनाया। इसके लिए 36 एकड़ जमीन में से 25 एकड़ में सीताफल, 6 एकड़ में चीकू व 5 एकड़ में कपास की फसल लगाई। इसके लिए वर्मी कम्पोस्ट, गौ मूत्र, छांछ, वेस्ट डी-कम्पोसर आदि का उपयोग किया। साथ ही खेत व घर में गोबर गैस प्लांट व सोलर पम्प भी लगाए।
जर्मनी व इटली जाकर देखी कृषि पद्धति
मप्र शासन की योजना के तहत मुकाती दंपत्ति ने जर्मनी व इटली जाकर वहां की जाने वाली आधुनिक व उन्न्त खेती की तकनीक भी सीखी। साथ ही जिले के कृषि विज्ञान केंद्र व देश में विभिन्न् स्थानों पर जैविक खेती की कार्यशालाओं व प्रशिक्षण में भाग लिया। 2 वर्ष पूर्व 36 एकड़ जैवी खेती वाले किस्से का पंजीयन मप्र जैविक प्रमाणीकरण बोर्ड में भी कराया। सुरेशचंद्र मुकाती ने बताया कि पंजीयन पश्चात प्रतिवर्ष बोर्ड द्वारा खेत का सूक्ष्म निरीक्षण किया जा रहा है। अगले वर्ष निरीक्षण पश्चात जैविक खेती का प्रमाणित होने पर जैविक खेती के उत्पाद विदेशों को निर्यात कर सकेंगे। वर्तमान में जैविक सीताफल व चीकू महाराष्ट्र, गुजरात सहित दिल्ली तक बेच रहे हैं। इनका भाव सामान्य फलों की तुलना में लगभग डेढ गुना मिलता है।
मेहनत व रूचि से करती हैं खेती
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व विभाग प्रमुख डॉ. एसके बड़ोदिया ने बताया कि महिला कृषक ललीता मुकाती बहुत रूचि व मेहनत से खेती कार्य करती हैं। इसके बेहतर परिणाम भी मिले हैं। समय-समय पर केंद्र द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है। दिल्ली में जल्द ही होने वाले आयोजन में प्रधानमंत्री द्वारा महिला कृषकों को सम्मानित किया जाना प्रस्तावित है। इसकी तिथि आदि तय नहीं है
– दुर्गाप्रसाद सूर्यवंशी,नलखेड़ा

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