लोक कलाकारों ने सुनाई वीर कुंवर सिंह की शौर्य गाथा

पटना/हाजीपुर – प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के जगदीशपुर विजयोत्सव के 160वें वर्ष के उपलक्ष्य में एक साथ जगदीशपुर और पटना में आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला में तीसरे दिन पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में बिहार के लोक कलाकारों भरत सिंह भारती सत्येंद्र कुमार संगीत डॉ नीतू कुमारी नवगीत सविता सिंह नेपाली अजीत झा और मोहर्रम राठौर ने बाबू वीर कुंवर सिंह की शान में देश भक्ति उत्साह शौर्य और बलिदान की भावना से ओतप्रोत गीतों की प्रस्तुति करके उपस्थित श्रोताओं को उद्वेलित किया और उन्हें 1857 के आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और त्याग से रूबरू कराया । लोकगीतों के ओज से वातावरण में हर्ष, उल्लास और जोश भरा रहा । लोकगायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने बाबू वीर कुंवर सिंह की बहादुरी का गाना गाया – एक अकेले सौ पे भारी जब लेते तलवार उठाए, मन में बस रही यही तमन्ना, भारत मां आजाद कहाय । वीर कुंवर सिंह के साहस और बहादुरी तथा अमर बलिदान की गाथा उन्होंने फिरंगियों के छक्के छुड़ाए, बाबू कुंवर सिंह वीर कहलाए । भोजपुरिअन की शान बढ़ाए, बाबू कुंवर सिंह वीर कहलाए गीत के माध्यम से सुनाई । कार्यक्रम में नीतू कुमारी नवगीत ने गणेश वंदना मंगल के दाता रउआ बिगड़ी बनाई जी, गौरी के ललना हमरा अंगना में आई जी और देवी गीत हो माई की चुनर में देखी चंदा चमके सूरज दमके तारा झिलमिल झिलमिल झलके लागे रूप सुहागन बड़ा रे, गाकर माहौल में भक्ति रस घोला । डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने बेटियों को अच्छी शिक्षा देने, दहेज प्रथा की समाप्ति, बाल विवाह न करने और महिलाओं को उचित सम्मान देने की अपील करते हुए या रब हमारे देश में बिटिया का मान हो जेहन में बेटों जितना ही बेटी की शान हो, बिटिया के भैया पढ़ावल जाई हो जननी है काल्हे की, बचावल जाइ हो और खेले कूदे के दिन में न शादी की होइहें बर्बादी जी जैसे लोकगीत भी पेश किए। नीतू कुमारी नवगीत के साथ नाल पर मनोज कुमार सुमन , हारमोनियम पर राकेश कुमार , केसियो पर सुजीत कुमार , बेंजो पर रविन्द्र रसिक ने और मुरारी मिश्रा ने आक्टोपैड पर संगत किया।शानदार तरीके से कार्यक्रम का संचालन शैलेश कुमार और सोनी कुमारी ने किया।

नसीम रब्बानी ,पटना/ बिहार

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