सुप्रीम कोर्ट में सेना की जीत: कोर्ट ने कहा-पत्थरबाज को मारो जितनी चाहे गोली नहीं होगी कोई FIR

नई दिल्ली- कश्मीर में आए दिन पत्थरबाजी होती रहती है। ऐसे में सेना उन पर अगर गोलियां चला दे तो क्या जवानों पर कार्रवाई होगी। इसका जवाब कोर्ट के एक हाल ही के आदेश में छिपा है। जी हां हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ कार्रवाई पर फैसला लेते हुए रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एक पिता और सेना की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेना पर एफआइआर के मामले में केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार को नोटिस भी जारी करते हुए दो दिन में जवाब देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने मेजर आदित्य के पिता की याचिका पर सुनावाई के दौरान साफ निर्देश दिए कि सेना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मेजर आदित्य के पिता कर्नल कर्मवीर के वकील एश्वर्या भाटी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नोटिस जारी किया है।

याचिका की एक कॉपी को ऑटार्नी जनरल को उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए है। कोर्ट ने एजीआई से कहा है कि दो हफ्ते के अंदर मामले पर केंद्र सरकार अपना पक्ष रखें।’ वकील एश्वर्या भाटी ने आगे कहा, हमारी प्रार्थना पर न्यायालय ने निर्देश दिया है कि मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ एफआइआर दर्ज किए जाने के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।’

बता दें कि सेना पर एफआइआर के मामले में मेजर आदित्य के पिता लेफ्टीनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से बेटे आदित्य के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने की मांग की थी। मेजर आदित्य के पिता ने कहा है कि उनके सैन्य अधिकारी बेटे ने जो भी किया वो अपने कर्तव्य निर्वाहन में सरकारी संपत्ति और सैन्य अधिकारियों की रक्षा के लिए किया। राज्य सरकार द्वारा उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज किया जाना गलत है, उसे निरस्त किया जाए।

क्या हुआ था : मेजर कुमार की अगुवाई वाली यूनिट ने 27 जनवरी को शोपियां में पथराव कर रही भीड़ पर गोली चला दी थी, जिसमें तीन व्यक्तियों की मौत हो गई थी. इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने घटना में शामिल सैन्य कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।