स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान! चुनावी जीत के लिए काशी की धरोहर से खिलवाड़

वाराणसी-काशी की धरोहरों के संरक्षण को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बुधवार को सीएम योगी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब हमारी संस्कृति, धर्म और विरासत पर ही खतरा होगा तो हम कैसे सुरक्षित रह सकेंगे। इतना ही नहीं संत ने यहां तक कह डाला की इस सरकार से हमारी परंपराओं को खतरा है। उन्होने सख्त लहजे में कहा कि गेरूआ कपड़ा पहनने से और योगी कहलाने से कोई संत नहीं हो सकता। उसके लिए साफ नीति नीयति और समभाव सद्भाव का होना भी जरूरी है।
ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती के शिष्य ने कहा शासन और प्रशासन से सवाल किया कि जब विश्वनाथ मंदिर का विस्तार ही करना है तो इसी परिक्षेत्र में स्थित गैर हिंदू धर्म के उपासना स्थल का अधिग्रहण कर उसे भी विस्तारीकरण में क्यों नहीं शामिल करते।
बतादें कि काशी के धरोहरो और यहां के हेरिटेज स्वरूप को सुरक्षित रखने के लिए काशीवासियों द्वारा एक आंदोलन शुरू किया गया है। लोगों का कहना है कि काशी के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत अनेक कार्य प्रस्तावित हैं, उनमे से अधिकांश पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है। इसी क्रम में “गंगा पाथवे” और “बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर” जैसी योजनाएं भी चर्चा में हैं जिसे लेकर लोगों में भ्रम व्याप्त है। एक तरफ हृदय योजना के तहत वाराणसी के धरोहरों को संजोने का कार्य चल रहा है, वहीं दूसरी ओर घाट, प्राचीन भवन, पूजा स्थलों, गलियों आदि के स्वरूप को बदलने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं, जो काशी की प्राचीनता पर हमला है।
इतना ही नहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द के हजारों साल पुराने मंदिरों को गिराया जा रहा है। देव विग्रहों को तोड़ा जा रहा है। देव विग्रह जहां-तहां मलबे के रूप में फेक दिए गए हैं। यह सनातन धर्म पर आघात है। ऐसा काम जो मुस्लिम आक्रांताओं ने नहीं किया वह काम एक हिंदूवादी कहलाने वाली सरकार कर रही है जिसके मुखिया खुद संत और योगी कहलवाते हैं। वह खुद एक मंदिर के महंत भी हैं। कहा कि ऐसा व्यक्ति संत हो ही नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन जो भी कर रहा है इसे काशीवासी स्वीकार नही कर सकते क्योंकि इससे यहां की पौराणिकता, प्राचीनता, विशेषता और हेरिटेज महत्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सरकार को काशी की प्राचीनता को सुरक्षित रखने के लिए मंदिरों और देव विग्रहों को ध्वस्त करने की अनुमित दी जा सकती। हम साधु संतों को शास्त्र और संविधान के तहत इस धर्म और संविधान विरोधी सरकार को जवाब देना होगा। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर शासन-प्रशासन को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का विस्तार ही करना है तो मंदिर के मूल क्षेत्र का अधिग्रहण करे। उनका इशारा छत्ता द्वार से विश्वनाथ मंदिर आने वाले मार्ग की ओर था।

उन्होंने धर्म ग्रंथों का उद्धरण पेश करते हुए कहा कि काशी की अंतरगृही यात्रा के शुरूआत के लिए जिन तीन गणेश विग्रहों के दर्शन-पूजन की मान्यता है वो तीनों ही मंदिर ध्वस्त किए जा चुके है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में वह न्यायिक राय भी ले रहे है और जल्द ही इस मुद्दे पर मंदिरों और देव विग्रहों को क्षतिग्रस्त करने वालों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराएंगे।
कहा कि जिस भी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई या जिस प्रतिमा का पूजन-अर्चन लगातार लंबे समय से हो रहा है उसमें खुद ही देवत्व आ जाता है। ऐसे में भारतीय संविधान के तहत इन देव विग्रहों को पांच वर्ष के बालक का रूप माना गया है । फिर एक अबोध बालक के अंग-भंग करना, उसका आहार, उसका आवास छीनना संविधान की अवहेलना है। इस मसले पर जल्द ही न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मसले पर साधु-संतों, नाविकों, आम नागरिकों के साथ विचार विमर्श कर बडे आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाएगी। यह आंदोलन केवल स्थानीय नहीं बल्कि राष्ट्रव्यापी होगा।

रिपोर्ट- महेश कुमार राय वाराणसी सिटी

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