क़ाज़ी निजामुद्दीन मंगलौर विधायक को राजस्थान में मिली अतिरिक्त ज़िम्मेदारी

हरिद्वार/मंगलौर- कांग्रेस विधायक क़ाज़ी निजामुद्दीन के कैरियर को पार्टी में एक निश्चित दिशा मिलती दिखाई दे रही है। बेहद युवावस्था में पहले राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सह-प्रभारी का ओहदा और अब 50 विधानसभा क्षेत्रों की पूर्ण ज़िम्मेदारी उनकी बड़ी उपलब्धि तो है ही, इस बात का प्रमाण भी है कि युवा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का नेतृत्व पार्टी में युवाओं के लिए भविष्य की राह निर्धारित कर रहा है। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट भी युवा हैं। ज़ाहिर है कि भविष्य के लिए एक टीम बन रही है।
क़ाज़ी निजामुद्दीन उत्तराखंड विधानसभा में मंगलौर का तीसरी बार नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें उत्तराखंड के भी प्रभावशाली व विचारशील विधायकों में गिना जाता है। उनके पिता (अब स्वर्गीय) क़ाज़ी मुहीउद्दीन ने उत्तर प्रदेश में रहते 9 बार और उत्तराखंड में एक बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे सात बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे थे। वे उत्तराखंड विधानसभा के पहले प्रोटेम स्पीकर बनाये गए थे। क़ाज़ी निजामुद्दीन की ननिहाल में भी राजनीति की पुरानी, समृद्ध और प्रभावशाली परंपरा रही है। उनके नाना-मामा विधायक -सांसद और मंत्री रहे हैं। इन सभी का उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा गहरा दख्ल रहा है। इस प्रकार क़ाज़ी निजामुद्दीन को न केवल सियासत विरासत में मिली है बल्कि उनसे यही अपेक्षा भी की जाती रही है कि वे अपने पुरखों की राह पर चलते हुए अपने लिए कामयाबी की नयी इबारतें लिखेंगे। इसे उनका सौभाग्य कहा जाना चाहिए कि फिलहाल कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व युवा राहुल गांधी के हाथ में है और क़ाज़ी निजामुद्दीन पर उनका भरोसा पहले से साबित है। यह भी हकीकत है कि पार्टी फिलहाल संक्रमणकाल में है और यह भी कि राजस्थान का विधानसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख रहा है। यह परिणाम निश्चित रूप से क़ाज़ी निजामुद्दीन के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद अहम साबित होगा। क़ाज़ी निजामुद्दीन की हालिया गतिविधियों से स्पष्ट हो रहा है कि वे हालात की गंभीरता को बेहतर तरीके से समझ रहे हैं और उन्हें अपने भविष्य से खूब उम्मीदें हैं।

– हरिद्वार से तसलीम अहमद

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