एक सराहनीय पहल की शुरुआत:आओ संवारें एक जीवन

लखीमपुर- आज जहां आदमी केवल अपनी ही सुख सुविधाओं के बारे में सोचता है और उसी को पूरा करने में अपना पूरा जीवन ही व्यर्थ गंवा देता है।वहीं आज कुछ लोग ऐसे भी है जो अपने लिए कुछ न करके कुछ ऐसा करते है जो पूरे समाज को तो झकझोरता ही है साथ ही प्रेरणा भी देता है कि हम कुछ नही कर सकते तो कुछ कामों में सहयोग तो कर ही सकते है।

आज आपका परिचय करा रहें है हिमांशु सक्सेना जी से जिन्होंने गरीब बेसहारा बच्चों के लिए कुछ करने का मन शुरू से ही बना लिया था और शिक्षा से बढ़कर क्या हो सकता है। 2005 में कोचिंग और कंप्यूटर सेंटर खोला। जो बच्चे गरीब परिवार से होते थे उनसे किसी भी प्रकार की फीस नही ली जाती थी। धीरे धीरे वक़्त गुजरता गया। फिर सोचा क्यों न इसे एक लक्ष्य बना लूँ। फिर इसे अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। जब कभी भी कोई गरीब बेसहारा या बाल श्रम में लिप्त या कचरा बीनते हुए या भीख मांगते हुए कोई बच्चा या युवा देखते उससे बात करते उसे समझते उसके घरवालों से मिलने की कोशिश करते। कभी सफल होते कभी असफल। लेकिन अपना प्रयास जारी रखा। इसी सिलसिले में एक बार दो तीन साल पहले नए साल के दिन संकटा देवी मंदिर परिसर के आसपास से कुछ बच्चे जो भीख मांग रहे थे उनको अपने घर लेकर आये और उनके साथ नया साल मनाया। उनको एक अच्छी सी पार्टी दी और कार्टून फ़िल्म दिखाई। फिर उनसे बातचीत करके उनके और उनके परिवार के बारे में जाना। पता लगा कि कुछ की माँ दूसरे के घरो में काम करती थी कुछ के पिता शराब पीते थे कुछ मजदूरी और कुछ के माँ बाप नही थे वो अपने रिश्तेदार के साथ रहते थे। कोई पढना चाहता था तो कोई नही। सबको कॉपी और पेन बांटकर उनसे रोज पढ़ने आने का वायदा कराया। कुछ दिन वो बच्चे आये फिर धीरे धीरे आना बंद कर दिया। कारण पता किया तो मालूम पड़ा कि कि उनके घरवालों ने मना किया था क्योंकि अगर वो पढ़ने जाएंगे तो घर का काम और दूसरों के घर का काम कौन करेगा। इससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा। भीख मांगकर भी कुछ बच्चे अपना गुजारा करते थे। वो सभी इस काम में रम गए थे।लेकिन उन्होंने कोशिश जारी रखी। ऐसे ही एक दिन आनंद टाकीज के पास कंजड़ बस्ती में रहने वाले एक लड़के से संपर्क हुआ उसको भी समझाया और उसको समझ भी आ गया और उसने अपने क्षेत्र के कुछ बच्चों को भी समझाया पर समय के अभाव के कारण और कुछ बच्चों के दूर गांव के कारण वो आ न सके। ये
सब सिलसिला ऐसे ही चलता रहा और प्रयास जारी रहा। इस बीच कई गरीब और बाल श्रम में लिप्त बच्चों को शिक्षित भी किया। फिर मैंने सोचा कि ऐसे मैं अपने लक्ष्य तक नही पहुंच पाऊंगा।

इसके बाद आओ सँवारे एक जीवन के नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया। पूरा खर्च भी स्वयं अपनी जेब से उठाया। कोई सहयोग कर देता है तो उसको धन्यवाद देते है फिर अपने मार्ग पर चलने लगते है।

अब कुछ लोगों को जोड़कर एक स्वयंसेवी संगठन बना लिया है जिसका नाम रखा है “आज़ाद भारत”। सब मिलकर प्राथमिक विद्यालयों में जाते हैं और बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते है क्यूंकि उन विद्यालयों का शिक्षा स्तर उचित नही है और पढ़ाई भी ठीक से नही होती है। अनाथालय भी जाते है और कुछ न कुछ दिया करते है कुछ बच्चे बाल ग्रह के भी आते है। गरीब बेसहारा आवारा घूमते हुए या बाल श्रम करते हुए कोई मिलता है तो उसकी काउंसलिंग करके उसके घरवालों से मिलकर उनको मनाकर पढ़ने बुलाते हैं। निःशुल्क शिक्षण सामग्रियों का भी वितरण करते हैं। इसके अलावा युवा और प्रौढ़ शिक्षा का भी संचालन करते है। इसके लिए नाइट क्लासेज़ की भी सुविधा दे रखी है। जो स्कूल नही जाते हैं उनको मनाकर स्कूल में एडमिशन भी करवाते है।

हमारे आस-पास ऐसे कई बच्चे हैं जो स्कूल जाने की उम्र में कचरा बीनते मिलते हैं, कई सरकारी स्कूलों में पढ़ने तो जाते हैं लेकिन वहाँ पर्याप्त पढ़ाई नहीं होने से कमजोर होते हैं। कई दुकानों आदि जगहों पर काम करते नज़र आते हैं, तो कोई सड़क पर गुल्ली डंडा खेलते मिलता है। इसलिये इस प्रोजेक्ट के द्वारा हमारे शहर लखीमपुर में जहाँ ऐसे बच्चों को खोज कर उन्हें भी समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, गरीब बच्चों को मुफ्त एकेडेमिक तथा कम्प्यूटर शिक्षा के साथ साथ इंग्लिश स्पीकिंग की शिक्षा भी दी जा रही है, जो बच्चे किसी कारण अभी तक स्कूल नहीं जा पाए हैं उनकी काउन्सलिंग करके उन्हें स्कूल भी भेजा जा रहा है और शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अतिरिक्त युवा एवं प्रौढ़ शिक्षा का भी संचालन किया जा रहा है। अगर आपकी जानकारी में ऐसा कोई गरीब परिवार या ऐसे कोई बच्चे हों तो कृपया जरूर सूचित करें| आपका सहयोग अपेक्षित है, सहयोग करने के लिये ज्यादा से ज्यादा इसे शेयर करें तथा इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के लिये सम्पर्क करें|
नोट:- गरीब एवं निम्न आय वर्ग के अभिभावक अपने बच्चों की निःशुल्क शिक्षा के लिए निःसंकोच संपर्क कर सकते हैं।
आप संपर्क कर सकते हैं-
हिमांशु सक्सेना (सामाजिक कार्यकर्ता)
मो0 नं0 8736008581, 8933832268

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