वाराणसी- बनारस शहर से गाय भैस अपने बाङे में रखने वाले गौपालको पर न्यायालय के आदेशों का हवाला देकर अत्यधिक मूल्यों पर जुर्माना लगाकर चालान किया जा रहा है।
वही पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के जस्टिस माननीय राजीव शर्मा के खंडपीठ ने राज्य के नागरिकों को पशुजगत का अभिभावक घोषित करते कहा – “नागरिक अब पशुओं के कल्याण और सुरक्षा के लिए उनके अभिभावक की तरह जिम्मेदार है।”
बनारस दूध के व्यापक बाजार से जुङा है जहाँ आस पास के जनपद भी इससे लाभान्वित है।वही धार्मिक, सांस्कृतिक दृष्टि से शिव मंदिरों सहित अनेक शुभ मौके पर दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक से लगायत पूजा पाठ में गाय के कच्चे दूध तथा इनसे निर्मित विभिन्न चीजों की जरूरत होती है। सनातनी परंम्परा के घरों में आज भी गोबर से ज़मीन लेपन के संस्कार दिनचर्या में है।
सरकार आखिरकार इन गौपालको को बाहर कर शहर के लोगों पर जबरन प्लास्टिक,थैला बंद दूध जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों , पूंजीपतियों को लाभान्वित करने का कार्य क्यों कर रही है?
इस दमनकारी नीति के खिलाफ शुक्रवार दोपहर बाद ” असंगठित कामगार मोर्चा ” के तहत ऐसे लोगों को संगठित कर उनकी आवाज़ को मजबूत करने के लिए पंचायत सोनिया अखाङा सिगरा में आयोजित हुई। जिसमें प्रमुख रूप से असंगठित क्षेत्रों से रेहडी पटरी, सफाई मजदूर,नाविक समाज, बुनकर, खेत मजदूर, मनरेगा मजदूर, किसान यूनियन आदि गौपालक ईकाई के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया तथा आशंका भी जतायी आज गौपालको
तो कल लूम के बुनकर, रेहडी पटरीवाले, नाविकों, सफाई कर्मियों को भी शहर से पर्यावरण, प्रदूषण के नाम पर बाहर किया जायेगा।
आखिरकार इनके योगदान क्या इस शहर के तरक्की में नहीं रहा जिनके पीढियों ने काशी की सेवा किया ?
जहाँ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई तथा प्रस्ताव भी पारित हुआ जो निम्मवत है।
मुद्दे
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क्या शहर में सीवर जाम की समस्या कारण केवल गोबर है ?
यदि गोबर से चिंतित है तो पालीथीन अभियान क्या हुआ?जबकि जानकारों के मुताबिक सीवर जाम होने का प्रमुख कारण पॉलिथीन,प्लास्टिक का बहुतायत मात्रा में प्रयोग होना है।तो क्या जरूरी नहीं कि जो कंपनी पालीथीन,प्लास्टिक बनाती है उसी को सरकार बंद करावे बनस्पत स्वच्छता- सफाई के नाम पर रेङी पटरी के व्यवसायियों को आयें दिन परेशान करने के।
समाचार पत्रों में जहाँ शासन,प्रशासन द्वारा कान्हा उपवन की सच्चाई भी सामने आयी जो शहर के बाहर छुट्टा पशुओं के रख रखाव के लिए बना है। वहां गाये तथा जानवर मर रहे है, संसाधनों का बुरा हाल है ,न कोई चिकित्सक है।
प्रस्ताव
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1-यदि गौपालको के जानवरों के गोबर से दिक्कत है तो आज पूरे शहर में गीला और सूखा कूङा का कंटेनर रखा जा रहा है उसी तरह जिन क्षेत्रों में गौपालक है उन क्षेत्रों में नगर निगम गोबर के लिए कंटेनर रखें जाय। सभी गौपालक अपने जानवरों का गोबर कंटेनर में निर्धारित समय से डालें जिससे नगर निगम प्रशासन सही स्थान पर इसे शहर के बाहर एकत्रित करने के लिए ले जाय।
2-नगर निगम प्रशासन भी गौपालको से गोबर उठाने के लिए प्रति महीने या छमाही या वार्षिक इसके लिए प्रति जानवर या जैसा समझे न्यूनतम 100 रूपये प्रति जानवर ” एनिमल प्रोटेक्सन ” एक्ट के तहत सेवा शुल्क ले।
3-आज शहर में जहाँ चारों तरफ गौपालक अपने आवासों या बाङो में जानवर रखे है तो चारों तरफ ” पशु चिकित्सालय ” नहीं रह गया है। टैक्स से प्राप्त होने वाली राशि से सरकार चाहे तो पशु चिकित्सक की डिग्री लिये नौजवानों को इससे विभिन्न क्षेत्रों में जानवरों के लिए मोहल्ला क्लिनिक बनाकर गौपालको के जानवरों की देखभाल करते है तो इन्हें भी अतिरिक्त पारिश्रमिक मिलेगा।
4- गोबर को शासन,प्रशासन शहर के बाहर सरकार जिस तरह एसटीपी प्लांट से दूषित जल को फिल्टर कर स्वच्छ जल देने का वादा किया है।वैसे ही गोबर से किसानों के लिए खाद, कम्पोस्ट साथ ही साथ गाँवो में गोबर गैस योजना को भी मजबूती मिलेगी जो वैकल्पिक ऊर्जा के साधन होंगे।
5- जिस तरह मध्य प्रदेश सरकार की पिछली सरकार ने शमशान घाटो पर लकङियो के जगह गोबर की बङी बङी पिलर अथवा खंभे बनाकर पर्यावरण तथा धार्मिक दृष्टि दोनों से शवदाह संस्कार करवा रही है।जिससे वन एवं वृक्ष दोनों को बचाया जा सकता है।
6- वाह्य क्षेत्रों में गोबर को एकत्रीकरण किया जाये वहां के कम योग्य महिला,पुरुषो के द्वारा कंडी,शमशान के खंभे बनाकर बाजार में प्रशासन इसकी बिक्री करावे तथा जिस तरह उज्जवला गैस कन्केशन के तरह मुफ्त की बात कही गयी थी।वहां उन परिवारों को आज भी कनेक्शन लेने के बाद बढ़ती महंगाई में सिलेंडर खरीदना महंगा है। तो ऐसे परिवारों को मुफ्त कंडी दिया जाय जिससे ईधन का साधन मजबूत होगा।
वही इन महिला,पुरूषों को कंडी,खंभे बनाने के उपलक्ष्य में रोजगार से अच्छे आमदनी का श्रोत भी मिल जायेगा।
7- पशुओं का भी एक समय निर्धारित किया जाय कि दूध निकालने के बाद उन्हें खुले स्थान पर समय से छोङा जाय यदि असमय खुली सङको पर जानवर मिले तो गौपालको पर जुर्माना लगाया जाय। क्योंकि यदि पशुओं से जाम होता है तो शहर में भारी वाहनों से भी जाम हो सकता है पर जब उन्हें नो इन्ट्री खुलने पर शहर में लाया जाता है तो उसी प्रकार गौपालको के जानवरों के साथ भी किया जा सकता है।
8- जहाँ एक तरफ सरकार बीयर को होटलों, बीयर बार में बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है तो कल वह शराब भी बनाने लगेंगे।
लेकिन दूध का कारोबार करने वाला व्यक्ति तो दूध से घी,मक्खन,दही, पनीर,मलाई इत्यादि ही न बनायेगा जो सभी के लिए पौष्टिक है।शराब या ऐल्कोहलिक पेय पदार्थ तो नहीं बनायेगा।
9- जहाँ शहर में नियम कायदे ताख पर रख स्कूलों,मंदिरों या मस्जिद के ही नजदीक या सटे हुए दारू,बीयर , अंग्रेजी शराब,भांग की दुकान शासन ,प्रशासन चलवा रहा है।जो समाज में घर घर को बर्बाद कर रहा है तथा इनके कारण सङको, मोहल्ला में माताये बहनें तक सुरक्षित नहीं है साथ ही साथ प्रायः अपराध भी बढ़ रहा है।इन्हें तत्काल ऐसे स्थानों से हटाया या बंद करवाया जाय।
10- जब देश की सरकार पूँजीवादी व्यवस्था को मजबूत करते मल्टी नेशनल कंपनी(MNC)और उनके बङे बाजार के रूप में माल संस्कृति का विस्तारीकरण कर रही है जहाँ छोटे दुकानदारों के पेट पर हमला बरकरार है।वही आज भी दो तरह के उपभोक्ता देश में है जो माल से महंगे, ब्राडेड सब्जी, फल इत्यादि यहां तक दूध , मक्खन, घी खरीद रहे है तो दूसरे तरह का उपभोक्ता रेडी पटरी पर सब्जी, फल तो वही गली,मोहल्ले के गौपालको से दूध, दही, घी ,मक्खन, पनीर अपेक्षाकृत कम दामों में खरीदता है।
अब तय शहर व शहरवासियो को करना है क्या शराब,बीयर,भांग की बिक्री एक स्वच्छ शहर समाज में बिकना जरूरी है कि हर घर को स्वच्छ और पौष्टिक दूध,दही, घी,मक्खन, पनीर ?
पंचायत की अध्यक्षता बद्रीनाथ यादव, संचालन धनंजय त्रिपाठी, रामबाबू यादव ने किया प्रस्तावना संजीव सिंह ने रखा धन्यवाद ज्ञापन -जगदीश यादव ने दिया।
पंचायत में प्रमुख रूप से डॉक्टर मोहम्मद आरिफ, अमिनुद्दीन सिदि्दकी, रामजनम, राजेंद्र प्रसाद, योगी राज पटेल, अखिलेश, राहुल, आबिद, दीपक, प्रेम, राजकुमार गुप्ता, नीरज, रामजी यादव, जय प्रकाश यादव, गुड्डू पटेल, संतोष यादव, राजकुमार यादव, सोनू, अजय मौर्य, कामता प्रसाद राजेंद्र सिंह, उमाशंकर, सुरेश राठौर, ओम प्रकाश सिंह, अजीत समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता वाराणसी