चन्दौली- खबर जनपद चंदौली से है जहां जन अधिकार पार्टी व कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा ने चंदौली लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र जिला कलेक्ट्रेट में भरने के उपरान्त मीडिया से अपनी बात रहने के लिये रुबरु तो जरूर हुई लेकिन जब मीडिया कर्मियों के द्वारा पूछे जा रहे सवालों के जबाब अपने प्रत्याशी शिवकन्या को फसता देख पार्टी के समर्थक अपना आपा खो बैठे और मीडिया के द्वारा पूछे जा रहे सवालों का विरोध करने लगे और प्रश्न कर रहे मीडिया कर्मी का विरोध करते हुये मीडियाकर्मियों की तुलना आतंकवादियों से करते मीडिया कर्मियों से झड़प कर डाले ,मामला बढ़ता देख जिला कलेक्ट्रेट पर मौजूद सुरक्षा बलों ने मामले में हस्तक्षेप कर बीच बचाव किया आप को बता दे कि जब 2007 से 2012 के बीच यूपी में मायावती की सरकार थी तब केंद्र सरकार के प्रोग्राम नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के लिए यूपी सरकार को लगभग 8657 करोड़ रुपये का फंड मिला थाइसमें से करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपयों का राज्य के बड़े नेताओं और अफसरों के बीच बंदरबांट होने की आशंका हुई तो मामले की CBI को सौप दी,CBI के रिपोर्ट में पता चला कि 134 हॉस्पिटल्स को अपग्रेड करने के नाम पर कई सौ करोड़ रुपये डकारने का मामला सामने आ गया। इस जुड़े करीब पांच लोगों की हत्या हो गई।मामला सामने तब आया, जब राजधानी लखनऊ में डॉ. विनोद आर्या (अक्टूबर, 2010) और बीपी सिंह (अप्रैल, 2011) शूट कर दिए गए. डिप्टी-CMO डॉ. सचान की तो पुलिस कस्टडी में रहते हुए रहस्यमयी मौत हो गई थी। इन मौतों में लीपापोती भी खूब हुई. कुछ आत्महत्या साबित हुईं, तो कुछ का पता ही नहीं चला।
NRHM घोटाले में कुशवाहा
बाबू सिंह कुशवाहा भी इसी घोटाले का एक हिस्सा हैं. माया सरकार में परिवार कल्याण मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा पर लगे आरोपों का बचाव करना जब मुश्किल हो गया, तो नवंबर, 2011 में उन्हें और सतीश चंद्र मिश्रा के रिश्तेदार हेल्थ मिनिस्टर अनंत कुमार मिश्रा को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया गया. बीएसपी से निकलकर बाबू लाल कुशवाहा को आनन फानन में निकानले की कयास शुरू की गई ,तो 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया ।बाबू लाल कुशवाहा के शामिल होने से बीजेपी पार्टी में घमासान की स्थिति हो गई. तो पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बाबू को बीजेपी से बाहर कर दिया। एक बार फिर 2012 में NRHM घोटाले से जुड़ी एक हत्या के मामले में बाबू सिंह कुशवाहा पर हत्या का आरोपी बनाते हुये FIR दर्ज हुआ और CBI की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
जेल और जेल से बाहर की बाबू की नौटंकी 3 मार्च 2012 में जब यूपी के विधानसभा चुनाव का आखिरी वोट पड़ा था, उसके कुछ मिनटों बाद ही बाबू सिंह कुशवाहा की गिरफ्तारी की खबर आ गई थी. इसके बाद बाबू चार साल तक जेल में रहे. रिहाई के लिए कोर्ट ने बाबू के सामने अपने हर मामले के लिए 50 लाख रुपए जमा करने की शर्त रखी थी. पैसे जमा करने पर बाबू को जमानत तो मिल गई, लेकिन कोर्ट और CBI से पीछा नहीं छूटा. CBI की गाजियाबाद कोर्ट ने बाबू के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी दिया था।इनके आरोपों के कारनामें की कहानी काफी लम्बी है और फिरहाल बाबू सिंह कुशवाहा जेल की यात्रा में है और इनकी पत्नी सुकन्या जन अधिकार पार्टी व कॉग्रेस से गठबंधन कर चन्दौली लोकसभा चुनाव में ताल थोक कर अपना किस्मत आजमा रही है।
रंधा सिंह चन्दौली