मां ज्ञानदायीनी के दिवस को बसंत पंचमी के रूप में मनाया गया

बिहार-मझौलिया प्रखंड क्षेत्र के भिन्न भिन्न जगहों पर
बसंत पंचमी विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा विशेष रुप से पूजा की जाती है जय पुब्लिक स्कूल के छात्र छात्राओं ने काफी हर्ष और उल्लास से सरस्वती पूजा मनाई बताते चले कि पंडित उमेश तिवारी ने बताया कि वीणा देवी सरस्वती की सबसे प्रिय वस्तु में से एक है। वीणा को घर में रखने से सुख शांति का माहौल बना रहता है ।माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को देवी सरस्वती की पूजा की जाती है । ग्रंथों में मान्यता है कि इन दिनों शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था मां सरस्वती को अनेकों नाम से जाना जाता है। मां हंस वाहिनी वीणा पुस्तक धारिणी आदि भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। बसंत का नाम सुनते ही मन में उल्लास उमंग की तस्वीर हीलोर मारने लगती है। इसी दिन से भारत में बसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है। इस दिन विद्या वाणी संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा भी की जाती हैं । वसंत पंचमी पूर्व की पूजा सूर्यउदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है । बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है । सरस्वती पूजा बसंत पंचमी के दिन साहित्य शिक्षा कला से जुड़े लोग मां सरस्वती की विशेष पूजा आराधना करते हैं । भारत में 6 प्रमुख ऋतुवे होती है। और इनमें से बसंत ऋतुको सबसे प्रमुख माना गया है। यही कारण है कि इसे ऋतुओ राजा भी कहा जाता है। इस ऋतु में मौसम काफी सुहाना होता है। और इसकी निराली देखने को मिलती है। इस मौसम में खेतों में फसल लहरहा रही होती है। और अपने अच्छे फासलों को देखकर किसान भी काफी प्रफुल्लित होते हैं स्वास्थ के हिसाब से भी मौसम काफी बेहतर होता है इसके साथ हे कई ऐतिहासिक तथा पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई है इसलिए इसे कई स्थानो पर सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है । इस दिन के उत्सव में कई स्थानों पर बसंत के मेला का भी आयोजन किया जाता है । बसंत पंचमी से जुड़े कई पौराणिक कथाएं है जिनमें एक प्रमुख कथा है वह देवी सरस्वती से जुड़ी है। जिसके अनुसार जब सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी तो वातावरण में चारों ओर नीरसता उदासी छा गई थी । और संसार में कोई खुशी नहीं थी ऐसा माहौल देख कर ब्राह्म जी को काफी दुख हुआ जिसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु से अनुमति लेते हुए अपने कमंडल से जल छिड़का जिससे देवी सरस्वती उत्पन्न हुई इसके बाद अपने वीणा वादन के द्वारा पशु-पक्षियों में वाणी और बुद्धि का संचार किया जिससे सृष्टि में फैली उदासी दूर हो गई और चारों और हर्ष और उल्लास खेल गया इसलिए देवी सरस्वती को ज्ञान और बुद्धिमता की देवी का दरगाह दिया जाता है। और इसी वजह से वसंत पंचमी के दिन को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है ।

– राजू शर्मा की रिपोर्ट

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