झाँसी। झांसी जनपद आए मुख्य सूचना आयुक्त ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए न सिर्फ जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की विस्तृत जानकारी दी, बल्कि अपीलीय अधिकारियों के लगातार चल रहे प्रशिक्षण के संबंध में भी बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण पूरे प्रदेश में वर्ष 2016 से चल रहा है। इसमें प्रथम अपीलीय अधिकारियों को नियमावली का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। इसको भारत सरकार फाइनेंस कर रही है। केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की योजना है, जिसके तहत आरटीआई से संबंधित ट्रेनिंग को वह फंड देते हैं। इसको संचालित करने के लिए उप्र सरकार की संस्था उप्र प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत है। इस प्रशिक्षण में उप्र सूचना आयोग का नेतृत्व है। तीन संस्थाओं के बीच यह सहभागिता कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एक क्रांतिकारी अधिनियम है। जब उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर कार्यभार ग्रहण किया था, तभी इस प्रकार के प्रशिक्षण की रूपरेखा तैयार की थी। इस संबंध में उन्होंने राज्य सरकार से बात की और बताया कि राज्य सरकार धारा 27 के तहत इस नियमावली को अनुमोदित करे। राज्य सरकार ने सूचना आयोग की इस संस्तुति को गंभीरता से लिया और अनुमोदन के उपरांत दिसंबर 2015 में उप्र सूचना का अधिकार नियमावली शुरू हुई। गत दो वर्षों से प्रदेश के सूचना अधिकारियों को नियमावली की विस्तृत जानकारी व प्रशिक्षण दिया जाता है। मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकारी गांठ बांध लें कि किसी भी जनसूचना अधिकारी का प्रथम व प्रमुख दायित्व है सूचना देना। सूचना न देने के बहाने करना उनका काम नहीं है। केवल विधिक आधार पर ही सूचना देने से इंकार किया जा सकता है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के बाद आवेदनों के निस्तारण की गुणवत्ता में सुधार आया है। हमारा ये प्रयास रहेगा कि इस प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम कभी बंद न हो। क्योंकि जनसूचना अधिकारी नियमित नहीं होते। स्थानान्तरण के बाद दूसरा आ जाता है। उसको भी प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। आज झाँसी में प्रशिक्षण दिया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एक वर्ष पूर्व भी हुआ था। जनवरी 2016 से चल रहा है। पूरे प्रदेश में इस प्रशिक्षण का एक राउण्ड हो चुका है जिसमें 18 मंडल के 75 जिलों के प्रथम अपीलीय सूचना अधिकारी शामिल हुए थे। आज दूसरे राउण्ड के कार्यक्रम में प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इसमें झांसी मंडल नौवां मंडल था।
एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि गलत सूचना के केस अगर जानकारी में आते हैं तो अर्थदण्ड लगाया जाता है। लगभग पैंतीस हजार अपील प्रतिवर्ष राज्य सूचना आयोग में दर्ज होती है। इस वर्ष दर्ज हुई अपीलों में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष थोड़ी सी कम हैं। आरटीआई कार्यकर्ता के ऊपर होने वाले हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। मैने भी पत्र लिखा था मुख्य सचिव को। उसके बाद सभी डीएम व एसएसपी को निर्देश दिए थे कि आरटीआई कार्यकर्ता यदि जीवन सुरक्षा की बात करता है तो उसे सुरक्षा दी जाए।
फर्जी सूचना मांगने वालों अथवा जबरदस्ती की सूचना मांगने वालों के खिलाफ कदम उठाने के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ आवेदन अधिकारियों को परेशान करने के लिए बनाए जाते हैं। ऐसे आवेदनों को अपने स्तर पर निस्तारित करने के प्राविधान हैं।
-उदय नारायण, झांसी